परिवार उजडऩेे से परेशान होकर सामाजिक सहभोज में बांटे 1000 पर्चे, कहा- परिवार उजाडऩे वाले को करे समाज बहिष्कृत
शिवपुरी। गांधी पार्क में महाराजा अग्रसेन जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित सहभोज के दौरान परिवार उजडऩे से परेशान एक युवक मनोज जैन ने अपनी बात समाज बंधुओं तक पहुंचानेे के लिए कार्यक्रम में 1000 पर्चे बांटकर अपनी व्यथा सुनाई है युवक ने पर्चे में किस तरह उसका परिवार टूटा है उसका उल्लेख किया हैे और मांग कि है कि समाज केे जिस प्रतिष्ठित व्यक्ति ने उसकी पत्नि को बरगला कर अवैध रूप सेे अपनेे साथ रख लिया है। उसे समाज से बहिष्कृृत किया जाये जिससे समाज का कोई भी व्यक्ति ऐसा घिनौना कार्य करने से हिचकिचाएं और मेरी तरह किसी और का परिवार न उजड़े।
मनौज जैन ने समाजिक कार्यक्रम वितरित किए पर्चे मेंं अग्रबंधुओ, बुर्जुग माता एंव बहनों को संबोधित करते हुए। लिखा है कि मैं समाज का बहुत छोटा सा हिस्सा हूॅ। मेरा और मेरी पत्नि का पारिवारिक मामला 8 वर्ष से न्यायालय में प्रचलित है और इस सबके लिए वास्तविक रूप से समाज के ही योगेश पुत्र जगदीश बंसल हैं। मेरे बच्चे इसी व्यक्ति के कारण मां के होते हुए भी बिन मां के रह गए है। योगेश बंसल की सीताराम मंदिर के पास कस्टम गेट पर मुकेश प्र्रिटिंग प्रेस के नाम से दुकान है। वहीं वह न्यायिक व्यवस्था में रहकर जिला विधिक सहायता अधिकारी के पद पर सागर में पदस्थ है। जिन्होंने स्वयं के परिवार के साथ मिलकर रिश्तेेदारी का फ ायदा उठाकर मेरे साथ घात कर दिया। उन्होंने मेरी पत्नि को बरगला कर गुप्त रूप से अपने साथ रख लिया है। उन्होंने मेरे ससुराल पक्ष को भी अपनी ओर मिलाकर उन्हे फतेहपुर रोड वर्मा कॉलोनी में एक मकान खरीदकर रहने के लिए दे दिया है। इसे लेकर पिछले 6 वर्ष से वह पुलिस और विभिन्न विभागों में शिकायत कर न्याय के लिए भटक रहा है। दो माह पूर्व 15 अगस्त को उसने अग्रवाल समाज के पदाधिक ारियों को आवेदन देकर सामाजिक स्तर पर न्याय की मांग की लेकिन आज तक समाज के सत्ताधारियों ने मेरे द्वारा लगाए गए आरोपों की पुष्टि हेतु बंसल परिवार को एक फोन करना भी उचित नहीं समझा। क्योंकि मेेरी व बंसल परिवार की आर्थिक व सामाजिक हैसियत में जमीन आसमान का अंतर है। चंंूकि मेरा मामला हाईकोर्ट में है और हाईकोर्ट के निर्णय के अनुसार ही आगे की कार्यवाही होगी। परंतु मेरा मानना है कि यदि बंसल परिवार हमारे मामले में षडयंत्र नहीं करता तो शायद बात यहां तक नही पहुंचती। मैंने अपनी व्यथा 22 जुलाई को फेसबुक के माध्यम से समाज और दुनिया के सामने रखी थी और मुझे आशा थी कि समाज की अदालत में बंसल के लोगों पर आवश्यक कार्यवाही होगी। लेकिन ऐेसा नहींं हुआ इसलिए मुझे मजबूरन समाज केे हर एक व्यक्ति तक अपनी बात पहुंचाने केे लिए सामाजिक मंच का उपयोग करना पड़ा और मुझे आशा है कि समाज का हर एक व्यक्ति मुझे न्याय दिलाने में सहयोगी बनेगा। इस पत्र के माध्यम से मै मेरे परिवार को उजाडऩे वाले योगेश बंसल को समाज से बहिष्कृत करने की मांग करता हूॅ। जिसका निर्णय आप सभी लोगों को करना है।
समाज तक अपनी बात पहुुंचानेे के लिए युवक ने अपनाया नया तरीका
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