केदार सिंह गोलिया, शिवपुरी। जिले के समस्त संविदा उपयंत्री अब अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए हैं। मनरेगा अभियंता संघ मध्यप्रदेश के आह्वान पर यह आंदोलन पूरे प्रदेश स्तर पर शुरू हुआ है। संविदा उपयंत्रियों ने साफ कहा है कि उनकी 8 सूत्रीय मांगों के निराकरण तक काम बंद रहेगा।
दरअसल, संविदा उपयंत्री बीते 16 अगस्त से ही 10 दिन के सामूहिक अवकाश पर थे। उस दौरान शासन-प्रशासन को समय दिया गया था कि वे उनकी समस्याओं का समाधान करें, किंतु इस बीच शासन की ओर से किसी भी प्रकार की सकारात्मक पहल नहीं की गई। मजबूरन संघ ने अब प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया।
जिले में ज्ञापन सौंपा गया
शिवपुरी जिले के समस्त संविदा उपयंत्रियों ने जिलाध्यक्ष हरीश शर्मा के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर रविन्द्र चौधरी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत हिमांशु जैन, कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा तथा जिले की सभी जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि जब तक शासन उनकी सभी 8 सूत्रीय मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लेता, तब तक यह हड़ताल जारी रहेगी।
आंदोलन की मुख्य वजह
संविदा उपयंत्रियों का कहना है कि वर्षों से वे मनरेगा योजनाओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन उन्हें स्थायीकरण, वेतनमान एवं अन्य सुविधाओं से वंचित रखा गया है। कई बार शासन को ज्ञापन और स्मरण पत्र दिए गए, मगर हर बार आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। इसी से आक्रोशित होकर अब प्रांतीय स्तर पर सामूहिक हड़ताल का रास्ता अपनाना पड़ा है।
जिलेभर के कार्य प्रभावित
अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण जिलेभर में चल रहे मनरेगा के कार्य प्रभावित होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे निर्माण कार्य, सड़क निर्माण सहित अन्य विकास गतिविधियों पर असर पड़ना तय माना जा रहा है। संविदा उपयंत्रियों का कहना है कि उनकी मजबूरी जनता के कामकाज पर असर डाल सकती है, लेकिन जब तक शासन गंभीर नहीं होगा, वे पीछे नहीं हटेंगे।
संघ का स्पष्ट ऐलान
मनरेगा अभियंता संघ ने कहा है कि संविदा उपयंत्रियों के बिना मनरेगा योजनाओं का क्रियान्वयन असंभव है। यदि शासन ने शीघ्र उनकी मांगों पर निर्णय नहीं लिया, तो वे आगामी दिनों में आंदोलन को और तेज करेंगे। इस ज्ञापन सौंपने के दौरान जिलेभर से संविदा उपयंत्री बड़ी संख्या में उपस्थित हुए और नारेबाजी कर अपनी आवाज बुलंद की।