शिवपुरी। जलियाँ वाला बाग अमृतसर के हत्याकाण्ड को सौ साल पूरे होने पर मध्य प्रदेश मुस्लिम एज्यूकेशनल सोसायटी जिला शिवपुरी ने विगत दिवस दरगाह बुरहान सैयद पर एक खिराजे तहसीन (श्रद्धांजली सभा) डॉ. एस. डब्ल्यु. अली की अध्यक्षता में आयोजित की। जिसमें बड़ी संख्या में शहर के बुद्धिजीबी शामिल हुए। मुस्लिम एज्युकेशनल सोसायटी के जिलासदर एड्वोकेट परवेज कुर्रेशी ने विषय प्रवेश कराते हुए जलियाँ वाले बाग काण्ड पर रोशनी डालकर उसकी याद मनाने की जरूरत बताते हुए कहा कि, इस आयोजन से लोगों में आजादी के आन्दोलन उसकी हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख तमाम देशवासियों की एकता और कुर्बानियों की याद ताजा करना, इस आयोजन का मकसद है। शुरू में कुराने पाक की तिलावत मदरसा - दारूलउलूमजकरीया के तालिबे इल्म ने की। मुस्लिम एज्यूकेशनल सोसायटी यूथ विंग के सदर तबरेज कुर्रेशी ने 13 अप्रैल को बैसाखी के दिन ही गुरू गोविन्द सिंह जी के खालसा पंथ की स्थापना से लेकर जलियाँ वाला बाग काण्ड में बहुत बड़ी तादाद में कश्मीरियों के शामिल होने का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें एक हजार से ज्यादा कश्मीरी शामिल थे और इस काण्ड के दो प्रमुख नेता डॉ. सत्यपाल और डॉ. सैफुद्दीन किचलू में सह डॉ. सैफुद्दीन कीचलू कश्मीरी मुसल्मान थे। जिनके गिरफ्तार होने पर उनका चित्र जलियाँ वाले बाग की सभा के मंच पर रख कर शान्तिपूर्ण सभा की जा रही थी। बाग के संग्रहालय में रखे उपलब्ध सूची में 379 में से 14 कश्मीरी शहीदों के नाम हैं। कष्मीरी मुसलमानों को भारत के मुख्य प्रवाह में लाने की डॉ. सैफुद्दीन किचलू की भूमिका को याद किया। प्रसिद्ध युवा पत्रकार जाहिद खान ने अपने प्रभावी आलेख में जलियाँ वाले बाग काण्ड को युगान्तरकारी घटना बताया जैसे 1857 का स्वतंत्रता संग्राम था। जाहिद खान ने इस नृशंस हत्याकाण्ड के गम और गुस्से से है। भगतसिंह और ऊधमसिंह आजादी के जजबात पैदा होने का जिक्र किया।
मुस्लिम एज्यूकेशनल सोसायटी शिवपुरी के सेकेट्री जनरल यूसुफ कुर्रेशी ने '' जलियाँ वाला बाग सींचा गया है खूने शहीदा से इसका तुख्म ÓÓ के शीर्षक से अपना शोध पत्र पढ़ा। जिसमें आजादी के आन्दोलन में देशवासीयों की कौमी एकता हिन्दु मुस्लिम सिक्ख सभी जाति धर्म वर्ग के लोगों के एकजुट होकर आजादी के लिए संघर्ष का विस्तृत विवरण किया। इस हत्याकाण्ड में सात और नौ साल के मोहम्मद इस्माईल और मोहम्मद हारून जैसे मासूम बच्चों की शहादत जो स्कूल का बस्ता कन्धे पर लटकाए थे और बूढ़े जवान हर धर्म ओर जाति के लोगों की हत्या का बड़ा मार्मिक वर्णन करते हुए बिना धर्म जाति भाषा के भेद के उन सबको देशवासियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बताते हुए खिराजे तहसीन पेश किया और इस हत्याकाण्ड पर लिखे अल्लामा इकबाल के इस संदेश को याद कराया -
हर जायरे चमन से यह कहती है खाक ए बाग
गाफिल ने रह जहाँ में गर्दों की चाल से
एडवोकेट अरशद खान ने इस काण्ड में शहीदों के नाम पढ़कर सुनाए। डॉ. एस. डब्ल्यू. अली के अध्यक्षीय उदमोदन मौलाना इस्ताक कासनी में दुआ की और मोहम्मद जाहिद और यूसुफ हनफी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।








