केदार सिंह, 7999366077
शिवपुरी – जनपद पंचायत बदरवास की ग्राम पंचायत अगरा में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना के तहत भारी अनियमितताएं उजागर हो रही हैं। योजना के अंतर्गत सामुदायिक कूप निर्माण, अमृत सरोवर तालाब निर्माण और रिचार्ज स्ट्रक्चर निर्माण जैसे कार्यों में फर्जी हाजिरी भरकर शासन को गुमराह किया जा रहा है। मामले की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मनरेगा एप पर अपलोड की गई फोटो स्वयं ही फर्जीवाड़े की पुष्टि कर रही हैं। जहां कार्य स्थल की तस्वीरों में पुरुष मजदूर दिख रहे हैं, वहीं मस्टर रोल में महिलाओं के नाम दर्ज हैं।
हकीकत से कोसों दूर “कागजी मजदूर”
मौके पर कोई कार्य होता नहीं दिख रहा, और न ही मजदूर उपस्थित हैं। परंतु कागजों में एक साथ 100 से अधिक मजदूरों को विभिन्न निर्माण कार्यों में काम करते दिखा दिया गया है।
फोटो में बार-बार एक ही तस्वीर का उपयोग किया गया है या मामूली फेरबदल कर अलग-अलग मस्टर में चिपका दिया गया है। ये तस्वीरें स्पष्ट रूप से यह साबित करती हैं कि एक ही दिन में एक ही मजदूर को कई कार्यस्थलों पर दिखाया गया है, जो संभव नहीं है।
पुरानी शिकायतों के बावजूद फिर वही कहानी
गौरतलब है कि करीब एक माह पूर्व भी मनरेगा योजना में इसी प्रकार की गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आई थीं, जिसके बाद जिलेभर के मस्टर शून्य (ज़ीरो) कर दिए गए थे। बावजूद इसके, अब फिर से पंचायत में मिलीभगत कर कागजी हाजिरी भरकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है।
जिम्मेदारों की चुप्पी भी संदेहास्पद
इस पूरे मामले में जब पंचायत के जिम्मेदार सीईओ, इंजीनियर, सरपंच, सचिव एवं रोजगार सहायक से संपर्क किया गया, तो किसी ने भी कॉल रिसीव करना उचित नहीं समझा। इससे यह संदेह और गहराता है कि कहीं न कहीं जिम्मेदार लोग खुद इस फर्जीवाड़े में लिप्त हैं।
सरपंच सिर्फ नाम की – असल संचालन ‘राजनीतिक’ हाथों में
सूत्रों के अनुसार, अगरा पंचायत की सरपंच एक महिला आदिवासी हैं, जो सिर्फ नाममात्र की सरपंच हैं। पंचायत की असल कमान कुछ राजनीतिक पकड़ रखने वाले लोगों के हाथों में है, जो सरपंची का संचालन कर रहे हैं।
अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस पर सख्ती दिखाते हुए दोबारा मस्टर शून्य करेगा या फिर पहले की तरह कागजों पर ही मजदूरी पास कर शासन की राशि का दुरुपयोग होता रहेगा?