बदरवास। शिक्षित होने का मतलब जागरूक और सभ्य होना माना जाता है, लेकिन गुना जिले के आरोन कस्बे के एक पशु चिकित्सक परिवार ने इस धारणा को झूठा साबित कर दिया। जहां पिता और दो पुत्र, तीनों सरकारी पशु चिकित्सक हैं, वहीं इनकी मानसिकता आज भी दहेज की दलदल में धंसी हुई है।
शिवपुरी जिले के बदरवास के एक परिवार ने अपनी पुत्री का विवाह दीपक जाटव (पशु चिकित्सक) पुत्र गणेशराम जाटव से तय किया था। दीपक का छोटा भाई प्रशांत जाटव और पिता गणेशराम जाटव भी पशु चिकित्सक हैं। विवाह की तिथि 23 मई तय हुई थी और सगाई के समय वर पक्ष ने किसी भी प्रकार के दहेज की मांग से इनकार किया था। वधु पक्ष ने इसे एक शिक्षित और संस्कारी परिवार मानकर संबंध पक्का कर दिया।
लेकिन जैसे-जैसे शादी की तिथि नजदीक आई, वैसे-वैसे वर पक्ष की असली मानसिकता सामने आ गई। दीपक के पिता गणेशराम जाटव ने वधु पक्ष से चार लाख रुपये नगद, 55 इंच की टीवी, एसी, महंगा फर्नीचर और अन्य सामान की मांग रख दी। जब वधु पक्ष ने इस अवैध मांग को पूरा करने में असमर्थता जताई, तो रिश्ता तोड़ दिया गया।
वधु पक्ष पहले ही शादी की तैयारियों में एक लाख रुपये से अधिक खर्च कर चुका था। उन्होंने बस, फोरव्हीलर, स्टेज, हलवाई, गार्डन और अन्य व्यवस्थाओं के लिए एडवांस दे रखा था। इस राशि को लौटाने के लिए कहने पर वर पक्ष ने न केवल इनकार किया बल्कि धमकी और हाथापाई पर भी उतर आया।
बदरवास पुलिस थाने में वधु पक्ष ने दीपक जाटव, गणेशराम जाटव और प्रशांत जाटव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है और अपनी खर्च की गई राशि वापस दिलाने की मांग की है।
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि डिग्री लेने से मानसिकता नहीं बदलती। सरकारी नौकरी में होते हुए भी यह परिवार दहेज की प्रथा को बढ़ावा दे रहा है। ऐसे शिक्षित मगर लालची लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि समाज में दहेज जैसी कुरीति पर रोक लग सके।