बचपन को नशा मुक्त रखने की कवायद
केदार सिंह गोलिया, शिवपुरी। बेटियों की घटती आबादी को रोकने तथा बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चलाया जा रहा है।जिसके तहत सामाजिक विचारधारा में बदलाव के लिये जन मानस को संबेदनशील बनाने के प्रयास किये जा रहे है। बढ़ती नशे की दुष्प्रवृत्तियों से बचपन को सुरक्षित रखने के लिये बाल संरक्षण अधिकारी राघवेन्द्र शर्मा ने बेटे बचाओ संस्कार सिखाओ नाम से अभियान की कार्ययोजना तैयार की है। जिला प्रशासन का यह प्रयोग बचपन को नशे के प्रकोप से दूर रखने के लिये किया गया है।अधिकारी शर्मा का कहना है कि नशा एवं व्यसन मुक्त बचपन से ही एक स्वस्थ्य समृद्ध एवं मजबूत समाज का निर्माण हो सकता है।व्यसनों में लिप्त होकर बचपन विधि विरोधी कार्यों की ओर अग्रसर होता है। जिसके घातक परिणाम समाज को झेलना पड़ते है।माता पिता एवं परिजनों की अनदेखी के कारण बच्चे संस्कारों को भूलकर व्यसनों की ओर आकर्षित हो रहे है,यह गंभीर सामाजिक चिंतन का विषय बन गया है।
फैमिली प्लानिंग का अभाव
हर कार्य के लिये एक कार्ययोजना होती है,ठीक उसी तरह बचपन के विकास के लिये एक फैमिली प्लानिंग की आवश्यकता होती है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि फैमिली प्लानिंग को हमने सन्तानोत्पत्ति पर नियंत्रण तक सीमित कर रखा है। जिसके कारण बचपन प्रभावित हो रहा है। बचपन को नशा मुक्त रखने के लिए बेटे बचाओ संस्कार सिखाओ अभियान जिले में संचालित किया जायेगा। अभियान के दौरान सामाजिक जागरूकता के लिये सभी आवश्यक उपाय किये जायेंगे।वर्तमान में बाल विकास को प्रभावित करने वाले जितने कारक है,उन सभी का जन्म बच्चों की उपेक्षा एवं अनदेखी से होता है।उपेक्षित सामाजिक व्यवहार तथा अनदेखी के कारण विकसित समाज की नींव कमजोर होती जा रही है। नशे की बढ़ती दुष्प्रवृत्तियों को मिटाना प्रमुख लक्ष्य होगा। नशा बचपन को सर्वाधिक प्रभावित करने वाला कारक है।बचपन को नशे की गिरफ्त से निकलना बेहद आवश्यक हो गया है। आज 10 वर्ष तक के बच्चे तंबाकू उत्पादों का धड़ल्ले से उपयोग करते मिल जाते है।तंबाकू से शुरू हुई व्यसन यात्रा किशोरावस्था में ही व्यसन आशक्त (नशेड़ी) बनाकर किशोरों को अशोभनीय एवं विधि विरोधी कार्यों की ओर ले जाती है।नशे की गिरफ्त में आने के बाद उससे निकलना वेहद मुश्किल होता है। बेटी बचाओ अभियान के सम्बंध में बाल संरक्षण अधिकारी राघवेन्द्र शर्मा का कहना है कि प्रशासनिक एवं सामुदायिक सहभागिता के समन्वय से जिले में बाल हितैषी वातावरण बनाने के लिये पूर्ण प्रयास किया जायेगा। विविध स्तरों पर जागरूकता के प्रयास होंगे।बालिकाओं को सुरक्षा के लिये सजगता और सतर्कता के तरीके सिखाएंगे तथा बालकों को कानूनी प्रावधानों के साथ सरलता और सहजतापूर्ण सदाचरण की प्रेरणा देंगे।








बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ अभियान का आगाज किया जा चुका है। इस अभियान का आगाज आदरणीय श्रीमान लेखक कवि पत्रकार हरीश शर्मा जी ने किया है। अभियान के मुख्य उद्देश्य को जानने के लिए आप हरीश शर्मा जी से संपर्क कर सकते है।
जवाब देंहटाएंसंपर्क सूत्र - 8306914811