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जिले के मतदाताओं ने कांग्रेस और भाजपा किसी को नहीं दिया इठलाने का मौका

2013 का परिणाम इस बार भी दोहराया गया, कांग्रेस और भाजपा ने पिछले चुनाव में जीती एक-एक सीट गंवाई और एक-एक सीट दूसरे से झटकी
शिवपुरी। प्रदेश में भले ही सत्ता परिवर्तन हो गया हो और भाजपा के स्थान पर कांग्रेस की ताजपोशी हो गई हो। लेकिन शिवपुरी जिले  का चुनाव परिणाम 2013 के चुनाव परिणाम की तरह ही रहा। उस चुनाव मेें भी कांग्रेस ने भाजपा लहर में पांच मेें से तीन सीटें जीती थी और इस बार भी प्रदेश में अपने पक्ष में बने वातावरण के बावजूद वह जिले में सीटों की संख्या बढ़ाने में सफल नहीं रही। तुलनात्मक रूप से कांग्रेस की तुलना में भाजपा का प्रदर्शन कहीं अधिक ठीक रहा। 2013 के चुनाव में जब पूरे प्रदेश में भाजपा की लहर थी और भाजपा ने 230 में से 165 सीटें जीती थी तथा कांग्रेस महज 58 सीटों पर सिमट गई थी। तब भी भाजपा की जिले में सीटों की संख्या दो ही थी और इस बार प्रदेश में भले ही सत्ता परिवर्तन हो गया हो लेकिन जिले में भाजपा की सीटों की संख्या दो यथावत रही। परिवर्तन आया तो सिर्फ यह कि भाजपा ने पोहरी सीट गवाई लेकिन इसकी भरपाई कोलारस सीट जीतकर की। जबकि कांग्रेस ने कोलारस सीट का नुकसान पोहरी सीट जीत कर किया। 
2013 से यदि इस चुनाव की तुलना करें तो उस चुनाव में शिवपुरी से भाजपा प्रत्याशी यशोधरा राजे सिंधिया विजयी हुई थी। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह ने पिछोर सीट पर जीत हांसिल की थी। इस चुनाव में भी शिवपुरी और पिछोर में यहीं परिणाम यथावत रहे। प्रत्याशी भी वहीं थे। अंतर था तो सिर्फ यह कि यशोधरा राजे सिंधिया ने अपनी जीत का आंकड़ा 11 हजार मतों से बढ़ाकर लगभग 29 हजार मतों पर पहुंचाया। जबकि केपी सिंह की जीत का आंकडा साढे 6 हजार मतों से घटकर 2200 मतों पर आ टिका। 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने करैरा विधानसभा क्षेत्र में भी विजय प्राप्त की थी और कांग्रेस प्रत्याशी शकुंतला खटीक ने भाजपा प्रत्याशी ओमप्रकाश खटीक को 10 हजार मतों से पराजित किया था। इस बार भी करैरा से कांग्रेस न केवल विजयी हुई बल्कि उसने अपनी जीत का आंकडा 10 हजार मतों से बढ़ाकर 15 हजार पर पहुंचा दिया। अंतर था तो सिर्फ यह कि कांग्रेस ने निवर्तमान विधायक शकुंतला खटीक के स्थान पर जसवंत जाटव को टिकट दिया था और हारने वाले भाजपा प्रत्याशी राजकुमार खटीक 2013 के चुनाव मेें पराजित हुए भाजपा प्रत्याशी ओामप्रकाश खटीक के पुत्र हैं। कांग्रेस को जहां इस चुनाव में कोलारस सीट गवानी पड़ी वहीं भाजपा ने पोहरी सीट खोई। 2013 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी स्व. रामसिंह यादव ने कोलारस विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र जैन को 25 हजार मतों से पराजित किया था। लेकिन कार्यकाल पूर्ण होने के पूर्व ही रामसिंह यादव का निधन हो गया और उनके निधन के बाद आठ माह पहले हुए उपचुनाव में स्व. रामसिंह यादव के सुपुत्र महेंद्र यादव ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र जैन को 8 हजार मतों से हराया। वह जीत अवश्य गए लेकिन 2013 की तुलना मेें कांग्रेस की जीत का अंतर 25 हजार से घटकर 8 हजार मतों पर आ गया। वर्तमान चुनाव में कांग्रेस ने 8 हजार मतों की पकड़ भी खो दी और कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र यादव भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र रघुवंशी से 720 मतों से पराजित हो गए। कोलारस में कांग्रेस ने 5 साल में काफी तेजी से अपनी जमीन खोई है। वह भी उस स्थिति मेें जब कि इस चुनाव में कोलारस सीट जीतना ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बनाया। लेकिन कांग्रेस ने कोलारस सीट पर हुए नुकसान की भरपाई पोहरी सीट पर की। पोहरी विधानसभा क्षेत्र में 1993 के बाद कभी कांग्रेस विजयी नहीं हुई। कांग्रेस को 1998, 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा। इनमें से 2008 मेें कांग्रेस प्रत्याशी को अपनी जमानत से भी हाथ धोना पड़ा था। 2013 के चुनाव में पोहरी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी प्रहलाद भारती ने कांग्रेस प्रत्याशी हरिवल्लभ शुक्ला को 3600 मतों से पराजित किया था। जबकि 2008 में उनकी जीत का अंतर 20 हजार मतों का था। इस चुनाव में कांग्रेस ने दुष्साहसिक प्रयोग किए। प्रहलाद भारती की उम्मीदवारी घोषित होने के बाद भी कांग्रेस ने धाकड़ उम्मीदवार सुरेश राठखेड़ा को टिकट दिया। यहीं नहीं पोहरी में मजबूत बसपा प्रत्याशी कांग्रेस की नींद खराब कर रहा था। लेकिन इसके बाद भी इस विधानसभा क्षेत्र में बदलाव की हवा देखने को मिली। कांग्रेस न केवल जीती बल्कि उसने भाजपा प्रत्याशी को तीसरे स्थान पर धकेल दिया तथा कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राठखेडा ने बसपा प्रत्याशी कैलाश कुशवाह को लगभग 8 हजार मतों से पराजित किया। 

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