कभी भी जानलेवा साबित हो सकता है सिद्धेश्वर मार्ग
शिवपुरी। शहर के प्रमुख मार्गो में शुमार सिद्धेश्वर-बाणगंगा मार्ग अपने हाल पर आंसू बहा रहा है। लगभग दो किमी लम्बा यह मार्ग पूरी तरह से जर्जर हालत में है। सीवर योजना के तहत बेतरतीव ढंग से होने वाली खुदाई ने इस मार्ग की हालत बहुत ही खस्ता कर दी है। जगह-जगह जेसीबी मशीन से खोदे गए गढ्ढे लोगों की मुसीबत का सबब बने हुए हैं। दलदल और फिसलन भरे इस मार्ग पर लोगों को पूरे दिन गिरते-उठते और संभलते देखा जा सकता है। यदि इस मार्ग को समय रहते ठीक नहीं किया तो आने वाले समय में यहां पर कोई बड़ी जानलेवा घटना होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
खास बात यह है कि सीवर योजना के तहत इस मार्ग पर पूरे दो साल से निर्माण कार्य चल रहा है। निर्माण की गति इतनी धीमी है कि यहां पर चेंबर और सड़क के नाम पर एक भी ईट नहीं रखी गई है। दो साल से यहां पर जेसीबी मशीनों द्वारा यहां बेहताशा ढंग से खुदाई की जा रही है। पूरी सड़क एक गहरी खाई में तब्दील हो गई है। कुछ स्पाट तो ऐसे हैं कि जहां पर पैदल चलने के लिए भी जगह नहीं है कि उसके बाद भी लोग मजबूरी में दो पहिया वाहन से निकल रहे हैं जो आने वाले समय में किसी बड़े हादसे का सबब बन सकते है। खुदाई की वजह से जमीन से निकले पानी से पूरी सड़क दल-दल में तब्दील हो चुकी है जिसमें लोगों को गिरते-उठते देखा सकता है।
हालातों को देखते हुए सिद्धेश्वर मार्ग को सड़क कम यदि गहरी खाई कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। खुदाई की वजह से यूं तो पूरा मार्ग उखड़ा पड़ा हुआ है। सबसे ज्यादा हालात विष्णुमंदिर और चिंताहरण मंदिर के पास है। इन दोनों ही धार्मिक स्थलों पर लोगों को पैदल निकलने के लिए भी जगह नहीं है। लगभग 20 फीट चौड़ी इस सड़क पर चिंताहरण और विष्णमंदिर के पास 10 से 15 तक गहरी खुदाई की गई है। रास्ते पूरी तरह से अवरूद्ध है। मजबूरी में लोगों ने वैकल्पिक छोटे-छोटे बाइपास बना लिए जिससे बमुश्किल उनकी राह आसान हो रही है। विष्णु मंदिर और चिंताहरण मंदिर पास बेतरतीव और नियमविरुद्ध ढंग से की गई खुदाई से यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं में जबर्दस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है। साथ ही मंदिरों पर श्रद्धालुओं की संख्या में भी कमी देखने को मिल रही है। इस मार्ग पर कहीं धूल उड़ रही है कि कहीं कीचड़ और दलदल है। लगभग दो साल से अपने कायाकल्प की बाट जो रहा सिद्धेश्वर मार्ग आसपास के दुकानदारों के लिए जहां परेशानी का सबब बना हुआ है, वहीं राहगीरों के लिए जानलेवा। आवागमन की यह समस्या महीने दो महीने की बल्कि दो साल से बनी हुई है। इस मार्ग पर सीवर योजना के निर्माण के नाम पर खुदाई पर खुदाई की जा रही है, कहीं पर भी खुदाई के बाद मार्ग को चलने योग्य बनाने पर किसी का ध्यान नहीं है।
सबसे ज्यादा स्कूली बच्चों को खतरा
पिछले दो सालों से निर्माण के खुदाई का दंश झेल रहे सिद्धेश्वर मार्ग पर सबसे ज्यादा खतरा स्कूली बच्चों पर मंडरा रहा है। जगह-जगह बेहतरतीव ढंग की गई खुदाई से एक ओर जहां पैदल राहगीरों का निकलना मुश्किल हो रहा है, ऐसे में ही इस मार्ग से छोटे-छोटे बच्चों को लेकर स्कूल बसें भी निकल रही है। कुछ स्थानों पर तो हालात इतने बे काबू और खतरनाक है कि यदि चालक की जरा सी लापरवाही और असावधानी हुई तो स्कूली बच्चों से भरी बसें के गहरी खाई में गिरने की आशंका से इंकार भी नहीं किया जा सकता है। इस मार्ग की दयनीय हालत और गड्डो से गुजरती स्कूली बसों को लेकर अभिभावक भी चिंता में रहते हैं। अभिभावकों की चिंता तब खत्म होती है कि जब कि उनका बच्चा सकुशल घर नहीं आ जाता है। इस क्षेत्र के निवासियों का कहना है कि इस मार्ग को जल्द दुरुस्त और जब तक काम पूरा नहीं हो जाता तब तक कोई अस्थाई मार्ग बनाने की मांग कई बार की जा चुकी है, लेकिन उस अभी तक किसी तरह अमल नहीं किया गया है। लोगों का कहना है कि हालातों को देखते हुए लगता है कि प्रशासन को किसी बड़े हादसे का इंतजार है।