शिवपुरी। ओबीसी वर्ग के हक़ और अधिकारों की आवाज़ एक बार फिर बुलंद हुई, जब ओबीसी महासभा (रजि.) ने सोमवार को अपनी 18 सूत्रीय मांगों को लेकर जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन राष्ट्रपति, राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के नाम संबोधित था और इसका नेतृत्व महासभा के प्रदेश अध्यक्ष गिर्राज सिंह धाकड़ ने किया। गिर्राज सिंह धाकड़ ने कहा कि यह सिर्फ़ एक ज्ञापन नहीं, बल्कि ओबीसी समाज के वर्षों से दबे अधिकारों की पुकार है। उन्होंने चेताया कि अब मौन नहीं, आंदोलन होगा जब तक ओबीसी समाज को उसका हक़ नहीं मिलता।
महासभा की प्रमुख मांगों में 13 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की तत्काल बहाली, चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति, और आगामी जनगणना में ओबीसी की जातिगत गणना कराना शामिल है। साथ ही विधायिका, न्यायपालिका और निजी क्षेत्र में ओबीसी की संख्या के अनुपात में आरक्षण लागू करने तथा ओबीसी आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की भी मांग की गई।
महासभा ने स्पष्ट कहा कि देश में सामाजिक न्याय तभी संभव है जब ओबीसी समाज को उसकी वास्तविक जनसंख्या अनुपात के अनुसार 52 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। गिर्राज सिंह धाकड़ ने कहा कि जब ओबीसी की आबादी 52 प्रतिशत है तो हक़ भी 52 प्रतिशत का मिलना चाहिए, यह सिर्फ़ न्याय नहीं, संवैधानिक अधिकार है।
इसके अलावा महासभा ने सरकारी विभागों में रिक्त पदों को शीघ्र भरने, न्यायपालिका में कोलेजियम सिस्टम समाप्त कर भारतीय न्यायिक सेवा गठन करने, और मध्यप्रदेश विधानसभा में पिछड़े वर्ग के लिए 125 सीटें आरक्षित करने की मांग रखी। ओबीसी छात्रों के हित में महासभा ने छात्रवृत्ति की आय सीमा 3 लाख से बढ़ाकर 12 लाख रुपये करने, आउटसोर्स भर्ती पर रोक लगाने, तथा हर जिला एवं तहसील स्तर पर ओबीसी छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावास की व्यवस्था की मांग की। महासभा ने बाबा आनंद स्वरूप, वकील अनिल मिश्रा और एटॉर्नी जनरल प्रशांत सिंह द्वारा ओबीसी वर्ग और संविधान के प्रति की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों पर कठोर कार्रवाई की मांग भी रखी। साथ ही, ओबीसी समाज के लिए सरकारी योजनाओं में पृथक बजट प्रावधान, राज्य स्तर पर ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने, और पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण को पूर्व स्थिति में बहाल करने की मांग भी की गई। ज्ञापन सौंपते समय जिला मुख्यालय पर ओबीसी समाज के सैकड़ों कार्यकर्ता एकजुट होकर पहुंचे। वातावरण ओबीसी एकता के नारों से गूंज उठा। महासभा के कार्यकर्ताओं ने अल्टीमेटम दिया कि यदि शासन-प्रशासन ने अब भी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया, तो प्रदेशव्यापी आंदोलन की लहर उठेगी और उसकी पूरी ज़िम्मेदारी सरकार की होगी।






