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पार्षद ओमी जैन का इस्तीफा और बयान से मचा राजनीतिक भूचाल, नपाध्यक्ष पद को लेकर उठाए खरीद-फरोख्त के सवाल!


नगर पालिकाओं में लंबे समय से पार्षदों और अध्यक्षों के बीच चल रही खींचातानी अब एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पार्षद ओमी जैन ने शुक्रवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता सहित अन्य सभी दायित्वों से इस्तीफा देकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। हालांकि, उन्होंने पार्षद पद से इस्तीफा नहीं दिया है, जो कि उन्होंने भाजपा के टिकट पर जीता था।

इस्तीफे के बाद शनिवार को उनका एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें वे नगरपालिका अध्यक्ष को लेकर एक चौंकाने वाला दावा करते नजर आ रहे हैं। ओमी जैन ने कथित रूप से कहा कि जब वे अध्यक्ष के संपर्क में आए तो ओमी जैन ने अध्यक्ष से खुद कहा— बहन जी आप तो फ्री में अध्यक्ष बनी हैं, वरना तो इस पद पर बैठने के लिए ढाई करोड़, तीन करोड़, साढ़े तीन करोड़ तक खर्च होते हैं।

इस बयान ने पूरे मामले को एक नई दिशा दे दी है। सवाल यह उठने लगे हैं कि क्या नगरपालिका अध्यक्ष की कुर्सी खरीद-फरोख्त के जरिए हासिल की जाती है? और यदि ऐसा है, तो यह भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा नहीं तो और क्या है? क्या ओमी जैन या उनके साथ वर्तमान में अध्यक्ष को हटाने को लेकर कुछ अन्य पार्षदों में से कतिपय चूंकि ओमी जैन स्वयं पार्षद हैं, यह भी संदेह उत्पन्न होता है कि क्या वह इस पूरे तंत्र का हिस्सा रह चुके हैं या बनने का प्रयास कर चुके हैं, लेकिन जब मंशा पूरी नहीं हुई, तब जाकर उन्होंने ये बातें सार्वजनिक कीं? उनके इस बयान ने न केवल अध्यक्ष पद की गरिमा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि भाजपा जैसी कैडरबेस पार्टी से आने वाले ओमी जैन और उसी पार्टी द्वारा बनाई गई नपाध्यक्ष की नियुक्ति पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। 

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