"होटल की चकाचौंध में दबी पड़ोसियों की चीखें, खुले ट्रांसफार्मर से जानवरों की बली जारी!"
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File Photo |
शहर में रसूख और बाहुबल की एक नई परिभाषा गढ़ी जा रही है। जब दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के कार्यकर्ता और दुनिया का सबसे अनुशासित संगठन के सिपाही भी किसी के आगे घुटने टेक दें, तो समझ लीजिए कि मामला आम नहीं, बल्कि 'खास' है।
इस 'खास' बाहुबली ने न केवल अपनी संपत्ति को चमकाने में महारत हासिल की है, बल्कि पड़ोसी कॉलोनी की जिंदगियों की कीमत भी तय कर दी है—शून्य! आलीशान होटल में ग्राहकों के लिए हर लग्ज़री सुविधा मौजूद है, पर इनका दिल 'नरमी' से खाली है।
सड़क पर खतरनाक तरीके से रखा इनका निजी ट्रांसफार्मर सिर्फ बिजली नहीं देता, बल्कि 'बलि' भी लेता है। कई बेजुबान जानवर इस 'विद्युत-बलि' के शिकार हो चुके हैं, और कॉलोनीवासियों की फरियादें सरकारी फाइलों में दम तोड़ रही हैं।
अब सवाल उठता है कि यह रसूख क्या सिर्फ होटल तक सीमित है या फिर...... अपनी सुविधा के अनुसार मोड़ सकता है? जब बिजली के तारों से झुलसते जानवरों की चीखें भी इनकी दहलीज तक न पहुंच सकें, तो समझिए कि असली 'पावर' किसके पास है!
अब देखना यह है कि प्रशासन की कुर्सी पर बैठने वाले 'करंट' की चपेट में आते हैं या फिर हमेशा की तरह 'बाहुबली के स्विच' से ही चालू और बंद होते रहेंगे?