कृषि संकाय और उसमें रुचि रखने वाले छात्रों ने जानी फार्मिंग सिस्टम की बारीकियों को
शिवपुरी। कृषि संकाय के अध्यापक दशरथ यादव से छात्रों ने इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम में एक ही फार्म पर फसल उत्पादन के साथ-साथ मुर्गी पालन, मछली पालन, बकरी पालन, बतख पालन, मधुमक्खी पालन आदि को एक साथ एक ही फार्म पर किस प्रकार किया जाता है यह जाना। यह सभी एक दूसरे पर आधारित होते हैं। जैसे फसल उत्पादन से प्राप्त फसल अवशेषों जैसे गेहूं का भूसा का उपयोग पशुओं को खिलाने में किया जाता है और पशुओं से प्राप्त गोबर का उपयोग खाद बनाने में, कंपोस्ट, वर्मी कंपोस्ट बनाने में किया जाता है। मुर्गियों की बीट का उपयोग मछलियों के आहार के रूप मैं किया जाता है ।यह विधि छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए लाभदायक होती है ।इस विधि में किसानों को लागत कम आती है, उत्पादन अधिक होता है और किसानों को लाभ अधिक मिलता है। इस विधि का मुख्य उद्देश्य है कि फार्म पर किसी एक संसाधन के नष्ट होने से दूसरे संसाधन से आय प्राप्त होना।जिससे किसानों को नुकसान नहीं होता है। जैसे कम वर्षा या ओलावृष्टि होने से फसलें बर्बाद हो जाती हैं तो उसके सहायक संसाधन जैसे दूध उत्पादन, मछली पालन, मुर्गी पालन आदि आय के स्रोत बने रहते हैं और किसानों की 12 महीने आय बनी रहती है । इस प्रकार इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम से किस तरह कृषि को लाभदायक बनाया जा सकता है के बारे में छात्रों ने जाना।






