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मनरेगा उपयंत्री आंदोलन 37वें दिन पहुँचा निर्णायक मोड़, शांतिपूर्ण आंदोलन अब उग्र रूप लेने की तैयारी में

केदार सिंह गोालिया,  शिवपुरी। मनरेगा संविदा उपयंत्रियों की आठ सूत्रीय न्यायिक मांगों को लेकर चल रहा शांतिप्रिय आंदोलन अब उग्र रूप लेने की ओर अग्रसर है। पिछले 37 दिनों से आंदोलनरत उपयंत्री शासन-प्रशासन से लगातार निवेदन कर रहे हैं, किंतु कोई ठोस आश्वासन न मिलने से उनमें गहरी निराशा व्याप्त है।


आज प्रदेश के सभी जिलों में मनरेगा उपयंत्रियों ने आदरणीय जिला कलेक्टर के माध्यम से सरकार को ज्ञापन सौंपा और चेतावनी दी कि यदि शीघ्र ही उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं हुई तो आंदोलन को क्रांतिकारी आंदोलन का स्वरूप दिया जाएगा। गौरतलब है कि जुलाई 2023 में प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा संविदा कर्मचारियों के लिए नीति लागू करने की घोषणा की गई थी, जिसे अन्य विभागों ने लागू भी कर दिया है, मगर ग्रामीण विकास विभाग ने अब तक इस नीति को लागू नहीं किया है। इसी नीति के तहत मनरेगा उपयंत्री अपनी वेतन विसंगति, अनुकम्पा नियुक्ति, निलंबन प्रक्रिया में सुधार, ग्रेच्युटी और सहायक यंत्री का प्रभार जैसी प्रमुख मांगों को लेकर वर्षों से आवाज़ उठा रहे हैं। उपयंत्रियों के इस आंदोलन को प्रदेश के विभिन्न संगठन और जनप्रतिनिधि भी जायज ठहराते हुए समर्थन दे चुके हैं। आंदोलन के कारण ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ा है। मजदूरों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है और गांवों में विकास कार्य भी ठप पड़ गए हैं। मनरेगा उपयंत्रियों ने सरकार से अपील की है कि उनकी जायज़ मांगों को तत्काल स्वीकार किया जाए, अन्यथा आंदोलन और अधिक उग्र रूप धारण करेगा।


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