शिवपुरी। यूं तो सामान्य प्रशासन विभाग की गाइड लाइन कहती है कि जिले में लिपिक संवर्ग के कर्मचारी भी एक ही कार्यालय में तीन वर्ष से ज्यादा पदस्थ नहीं रह सकते। यदि परिस्थितिजन्य आवश्यक भी हो तो शाखा का परिवर्तन अति आवश्यक है, लेकिन शिवपुरी के जनजातीय कार्य विभाग (आदिम जाति कल्याण विभाग) में सहायक ग्रेड 2 रमेश जाटव अंगद के पैर की तरह जिला कार्यालय में जमे हुए हैं। इनकी पोस्टिंग करीब दो दशक से यहीं हैं। अधिकारियों से सेटिंग ऐसी की सामान्य प्रशासन विभाग की गाइड लाइन को नजर अंदाज कर कभी यह विभाग के अन्य किसी कार्यालय में स्थानांतरित ही नहीं हुए। हद तो तब है जब रमेश पर ऐसी मेहरबानी बनी हुई है कि वे पिछले कई सालों से मलाईदार निर्माण शाखा कब्जाए हुए हैं। विभाग के माध्यम से पंचायत, हितग्राहियों से जुड़े तमाम निर्माण कार्यों की फाइलों का हिसाब किताब इन्हीं पर है और इस निर्माण के खेल में जमकर खेला हो रहा है। विभाग के आलाधिकारी और जिले के कलेक्टर को यह मामला संज्ञान में लेकर न केवल रमेश बल्कि उन जैसे कार्यालयों में वर्षों से जमे लिपिकों को अन्यत्र पदस्थ करना चाहिए ताकि इन जैसों की वजह से हावी हो चुका सुविधा शुल्क का सिस्टम तहस नहस हो सके।
खास खबर: जनजातीय कार्य विभाग में अंगद के पैर से जमे 'रमेश', सालों से निर्माण शाखा पर कब्जा
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12:15 pm
शिवपुरी। यूं तो सामान्य प्रशासन विभाग की गाइड लाइन कहती है कि जिले में लिपिक संवर्ग के कर्मचारी भी एक ही कार्यालय में तीन वर्ष से ज्यादा पदस्थ नहीं रह सकते। यदि परिस्थितिजन्य आवश्यक भी हो तो शाखा का परिवर्तन अति आवश्यक है, लेकिन शिवपुरी के जनजातीय कार्य विभाग (आदिम जाति कल्याण विभाग) में सहायक ग्रेड 2 रमेश जाटव अंगद के पैर की तरह जिला कार्यालय में जमे हुए हैं। इनकी पोस्टिंग करीब दो दशक से यहीं हैं। अधिकारियों से सेटिंग ऐसी की सामान्य प्रशासन विभाग की गाइड लाइन को नजर अंदाज कर कभी यह विभाग के अन्य किसी कार्यालय में स्थानांतरित ही नहीं हुए। हद तो तब है जब रमेश पर ऐसी मेहरबानी बनी हुई है कि वे पिछले कई सालों से मलाईदार निर्माण शाखा कब्जाए हुए हैं। विभाग के माध्यम से पंचायत, हितग्राहियों से जुड़े तमाम निर्माण कार्यों की फाइलों का हिसाब किताब इन्हीं पर है और इस निर्माण के खेल में जमकर खेला हो रहा है। विभाग के आलाधिकारी और जिले के कलेक्टर को यह मामला संज्ञान में लेकर न केवल रमेश बल्कि उन जैसे कार्यालयों में वर्षों से जमे लिपिकों को अन्यत्र पदस्थ करना चाहिए ताकि इन जैसों की वजह से हावी हो चुका सुविधा शुल्क का सिस्टम तहस नहस हो सके।
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