कार्य पूर्ण फिर भी इंजीनियर न तो मूल्यांकन कर रहे और न ही सचिव भुगतान
आदिवासी महिला सरपंच ने लगाए गंभीर आरोप, मामला ग्राम पंचायत झिरी का
शिवपुरी। राज्य एवं केन्द्र सरकार पंचायत राज के माध्यम से दूर दराज के गावों को विकास की मुख्य धारा से जोडऩे के लिए प्रयासरत है, साथ ही पंचायतों में सरपंच पद के लिए आरक्षण की भी व्यवस्था है जिससे कमजोर तबके को भी प्रतिनिधत्व करने का मौका मिल सके, पर धरातल पर यह सपना साकार हो रहा है इसका विश£ेषण करने के लिए जिम्मेदारों के पास समय ही नहीं है। शिवपुरी जिले में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर सिर्फ कागजों में ही प्रतिनिधि चुने गए हैं कुछेक को छोड़ दिया जाए, नहीं दबंगों द्वारा पंचायतें चलाई जा रही हैं। इसी तरह का मामला पोहरी जनपद की ग्राम पंचायत झिरी में सामने आया है। जहां कुछ दबंगों द्वारा आदिवासी महिला सरपंच से उसके हक और अधिकारों को छीनने का प्रयास किया जा रहा है। महिला सरपंच ने एसडीएम के नाम दिए गए आवेदन के माध्यम से आरोप लगाते हुए बताया कि उसके द्वारा पूर्ण किए गए कामों का न तो इंजीनियर नीतेश गुप्ता द्वारा मूल्यांकन किया जा रहा है और न ही सचिव नेपाल वर्मा द्वारा भुगतान किया जा रहा है। सरपंच ने बताया कि निर्माण कार्य हेतु जो सामग्री उधार ली है उनके द्वारा मुझसे बार-बार उधारी के पैसो की मांग की जा रही जिससे वह मानसिक रूप से प्रताडित हो रही है। ईजीनियर एवं ग्राम पंचायत सचिव द्वारा कहा जाता है कि आधा-आधा हिस्सा हम दोनों को देने पर ही मूल्यांकन एवं भुगतान होगा। तू आदिवासी महिला है तू क्या सरपंची करेगी ज्यादा होशियार बनी या कही शिकायत की तो तुझे सरपंची करना सिखा देंगे। पीडि़त इतनी मानसिक रूप से प्रताडित हो चुकी है कि 10 दिवस में भुगतान नहीं हुआ तो प्रार्थीया को मजबूर होकर आत्महत्या जैसे कदम उठाने पर मजबूर होना पडेगा जिसकी सम्पूर्ण जबाबदारी ईजीनियर, सचिव की होगी। उल्लेखनीय है कि जिलेभर में दर्जनों पंचायतों पर हालात बिखराल रूप धारण किए हुए हैं। जहां पंचायती राज की परिकल्पना दबंगों की देहरी पर गिरवी है, कई पंचायतों में दलित, आदिवासी सरपंचों की सचिव सुन रहे न अधिकारी और दबंग ही बन बैठे हैं कर्ताधर्ता।
इनका कहना है
आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है, शिकायत की जांच कराकर उचित कार्यवाही की जाएगी।
गिर्राज शर्मा, सीईओ
जनपद पंचायत पोहरी