Breaking Ticker

नैतिक शिक्षा के मूल्य को आधुनिक युग में नकारा नहीं जा सकता: डॉ. विक्रम पिप्पल

Kedar Singh Goliya, Mo.- 7999366077


उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर के अधिवक्ता व विधि विशेषज्ञ ने सांझा किए अपने अनुभव

नीरज कुमार छोटू, शिवपुरी। आज की नई जनरेशन शिक्षा की अंधाधुंध दौड़ में तो शामिल है लेकिन शिक्षा का वास्तविक महत्व जानना अति आवश्यक है मतलब यह है कि शिक्षित होने के बाद देश और समाज के प्रति आपके क्या कर्तव्य हैं यह सभी को पता होना चाहिए तभी हम एक सशक्त और सुदृढ़ राष्ट्र की परिकल्पना को साकार कर सकते हैं। विद्यार्थी,विद्यालय,शिक्षक, समाज तथा राष्ट्र शिक्षा के महत्वपूर्ण लाभार्थी घटक है। शिक्षा का उद्देश केवल किसी विषय का अध्ययन कराना नहीं है अपितु इसके माध्यम से विद्यार्थी को ज्ञानवान,चरित्रवान, राष्ट्रभक्त बनाते हुए उसके व्यक्तित्व का पूर्ण विकास कराना भी है। शिक्षा के पश्चात व्यक्ति मानवीय गुणों से युक्त होकर स्वविवेक से निर्णय लेने में सक्षम होना चाहिए है तथा धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष इन चारों धर्मों का पूर्णत: से पालन करने में समर्थ व सक्षम होना चाहिए।  मप्र  उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर के अधिवक्ता व विधि विशेषज्ञ डॉ विक्रम पिप्पल ने अपना अनुभव सांझा करते हुए उक्त विचार रखे।

हमारे संवाददाता से भी बातचीत में सवालों के जवाब देते हुए आगे उन्होंने कहा कि आज की नई जनरेशन शिक्षा को विकास का आधार न मानते हुए सिर्फ स्वयं की जरूरत को अच्छे से पूरा करने का साधन मानती हैं और यही कारण है कि वह सरकारी नौकरी के लिए विशेष अपेक्षा करते हैं और सरकारी नौकरी मिलते ही भ्रष्टाचार कर नोट जमा करने लगते हैं जबकि हर शासकीय सेवक का कर्तव्य है कि वह देश के विकास में सहयोग करें। ऐसा नहीं है कि सभी अधिकारी और कर्मचारी भ्रष्ट होते हैं परंतु कुछ चंद लोगों ने पथभ्रष्ट  कर रखा है।  उसका परिणाम यह है कि वह कहीं ना कहीं देश को पीछे धकेल रहे है। उन्होंने बताया कि आधुनिक युग में नैतिक शिक्षा पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है ना कि नौकरी वालीं शिक्षा पर क्योंकि आज हम उस दिशा में एक नई पीढ़ी को ले जा रहे हैं जों आगामी दिनों देश भविष्य तय करेंगी। श्री पिप्पल  ने अपने व्यक्तिगत जीवन के अनुभव साझा करते हुए बताया कि पहले मेरा उद्देश्य सिर्फ सिविल जज यानी एक उच्च स्तरीय अधिकारी बनने का था और मैंने प्रयास भी किए तथा उसमें कुछ हद तक सफलता हासिल भी हुई। परंतु मैंने स्वयं आत्मचिंतन किया कि ऐसी शिक्षा का क्या महत्व जब में पढ़ लिखकर सिर्फ और सिर्फ अपना और अपने परिवार का विकास कर सकता हूं सारी सुख-सुविधाएं का लाभ प्राप्त कर सकता हूं। परंतु वह मेरा समाज जों अभी भी शिक्षा क्षेत्र में आगे बढऩे का प्रयास तो कर रहा है परंतु उसको जहां पहुंचना चाहिए वहां पहुंच नहीं पाता। उनके लिए में क्या कर सकता हूं तो मैंने वहीं से अपना उद्देश्य और लक्ष्य को एक अलग दिशा दीं। आधुनिक समाज में लोगों की अपेक्षाएं सरकारी नौकरी की ओर आकर्षित हों रहीं हैं वे नौकरी वालीं शिक्षा को ग्रहण कर अपने निजी स्वार्थ को पूर्ण करने के लिए अपने कर्मों और दायित्वों में भ्रष्टाचार करने लगते हैं क्योंकि हम उन्हें नौकरी वालीं शिक्षा जों परोस रहें हैं। अगर हम नैतिक शिक्षा की ओर इन्हें आकर्षित करें तो यह समाज में एक बड़ा बदलाव देखने को हमें मिलेगा।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
......

......

------------

-------------


-------
---------