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डीएलएड-बीएड कॉलेजों में कोर्स रेगूलर पर न कक्षाएं लगती न स्टाफ मौजूद

-कैसे शिक्षण में दक्ष होंगे भविष्य के शिक्षक जिम्मेदार भी नहीं दे रहे ध्यान

केदार सिंह गोलिया, 7999366077

शिवपुरी। सरकारी स्कूलों ही नहीं बल्कि निजी स्कूलों में भी अब डीएलएड-बीएड जैसी शैक्षणिक उपाधि के बाद ही नियुक्ति मिलती है इन डिग्रियों के कोर्स में उन सभी विषयों का अध्ययन शामिल है जो एक शिक्षक के लिए शिक्षण कार्य में बेहद अनिवार्य है, लेकिन जिले में एक-दो नहीं, बल्कि डीएलएड-बीएड कॉलेजों में इस पूरे नियमित पाठ्यक्रम को अनियमित बना छोड़ा है। मोटी फीस वसूलकर अधिकांश कॉलेजों में सालभर न तो कक्षाएं लगती न छात्र आते हैरानी की बात तो यह है कि अधिकांश विषयों का स्टाफ ही इन कॉलेजों में नियुक्त नहीं है। सिर्फ कागजों में कक्षाओं से लेकर स्टाफ की नियुक्ति दर्शा दी जाती है। इन कॉलेजों पर निगरानी का अधिकार शिक्षा विभाग सहित डाइट को है जिन्हें इनकी मॉनीटरिंग करनी है, लेकिन वे भी बेखबर बने रहते हैं। ऐसे में बिना नियमित कक्षाओं के सिर्फ डिग्री हासिल करने वाले ये युवा शिक्षक बनकर अपने पद के साथ न्याय करेंगे। यह विचारणीय प्रश्र है। 

60 से 80 हजार तक शुल्क

इन कॉलेजों की बात करें तो अधिकांश में दो वर्षीय पाठ्यक्रम के लिए 60 हजार से 80 हजार रुपए तक अभ्यार्थियों से वसूले जाते हैं। इसके अलावा अनुपस्थिति को उपस्थिति में बदलकर 75 फीसदी उपस्थिति की अनिवार्यता के मापदण्डों को पूरा करने समय-समय पर आयोजित टेस्ट, पाठ्य योजना, स्कूलों में जाकर पढ़ाने की अनिवार्यता जैसे मापदण्डों को सिर्फ कागजों में पूरा करने के ऐवज में कॉलेज संचालक 5 से 20 हजार रुपए तक अतिरिक्त भी वूसल लेते हैं।  

भौतिक सत्यापन हो तो खुल जाएगी पोल

जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारी यदि इन महत्वपूर्ण पाठ्यक्रमों को लेकर कॉलेजों में चल रहे फर्जीवाड़े पर लगाम लगाना चाहते हैं तो अधिकांश कॉलेजों में टीमें बनाकर आकस्मिक निरीक्षण किया जाए तो कक्षाओं की स्थिति और प्रवेशित विद्यार्थियों की तुलना में उनकी वहां उपस्थिति इस पूरे खेल को उजागर कर देगी। देखना होगा कि प्रशासन कब तक इन पर अंकुश लगाने के लिए अभियान छेड़ता है। 

सनराइज कॉलेज के नाम से छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़


हाल ही में डीएड के छात्र बिचोलियों का शिकार हो गए। दरअसल सनराइज कॉलेज के नाम से अंकुर गुप्ता ने न केवल छात्रों को आर्थिक रूप से नुकसान किया है, बल्कि उनके भविष्य के साथ भी खिलवाड़ किया है। जिसे कॉलेज के डायरेक्टर का भाई बताया जा रहा है। दरअसल पेपर से पहले कुछ छात्र फिजिकल रोड स्थित एक सनराइज कॉलेज के नाम की दुकान से संचालित ऑफिस पर अपना एडमिट कार्ड लेने पहुंचे थे। लेकिन ऑफिस में काम कर रहे कर्मचारी छात्रों को देख ऑफिस की शटर बंद कर भाग खड़े हुए। मौके पर अपना एडमिट कार्ड लेने पहुंचे राजस्थान के कस्बा थाना के रहने वाले सोनू सेन बताया कि उसने एक साल पहले इस ऑफिस के जरिए सनराइज कॉलेज में डीएड का दाखिला लिया था। इसके एवज में उसने 15-15 हजार दो किस्तों में कुल तीस हजार रूपए अंकुर गुप्ता को दिए थे। राजस्थान के कोटा से अपनी पत्नी मनीषा को डीएड का एग्जाम दिलाने के लिए शिवपुरी पहुंचे जितेंद्र गुर्जर ने बताया कि उसने भी दो किस्तों में 30 हजार रूपए जीतू समाधिया के कहने पर अंकुर गुप्ता को दिए थे। लेकिन आज वह अपनी पत्नी का एडमिट कार्ड लेने ऑफिस पहुंचे तो उन्हें ऑफिस बंद मिला था। झांसी तिराहा पर लाइब्रेरी संचालित करने वाले मनीष गुप्ता का कहना है कि उन्होंने डीएड के लिए चार बच्चों के एडमिशन 30-30 हजार रूपए देकर कराए थे। मामले में सनराइज कॉलेज के डायरेक्टर अमित पहारिया का कहना था कि उनके कॉलेज में 100 डीएड के छात्र हैं सभी को एडमिट कार्ड वितरित किए जा चुके हैं। जिस अंकुर गुप्ता की बात छात्र कर रहे हैं उस अंकुर गुप्ता को 2019 में ही नौकरी से निकाल दिया था। फिजिकल रोड़ स्थित सनराइज कॉलेज का ऑफिस भी उनके द्वारा ही संचालित किया जा रहा है। लेकिन इस ऑफिस में अंकुर गुप्ता नहीं बैठता है। फीस की जो रसीदें छात्र दिखा रहे हैं वे फर्जी रसीदें हैं। छात्र धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं। साथ ही कॉलेज का नाम भी बदनाम करने की साजिश रची गई है। वह इसकी लिखित शिकायत पुलिस में दर्ज करा चुके हैं।

अंकुश नहीं लगी तो फैलेगा बड़ा अवैध कारोबार

जिस पर से सनराइज कॉलेज के डायरेक्टर के भाई द्वारा धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया है और उसके द्वारा दर्जनों छात्रों के भविष्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया गया है। अगर जिम्मेदारों द्वारा मनमानी करने वाले कॉलेज संचालकों पर अंकुश नहीं लगाया गया है तो आगे चलकर बड़ा अवैध कारोबार फल फूल जाएगा। 

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