शिवपुरी। करैरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाली एक बड़ी आबादी दशकों से सोन चिरैया अभ्यारण की वजह से नरकीय जीवन बिताने के लिए मजबूर बनी हुई है। इस अभ्यारण में वर्ष 2008 से सोन चिरैया ढूंढने से भी नहीं मिल पा रही है, लेकिन फिर भी सोन चिरैया संरक्षण के नाम पर प्रतिमाह आने वाले 55 लाख रुपए को अधिकारी, कर्मचारी डकार रहे हैं। शासन से आने वाले इन 55 लाख रुपए की कीमत बेकसूर भोली भाली करैरा की जनता को चुकाना पड़ रही है। यह आरोप राष्ट्रीय कांग्रेस ब्रिगेड के प्रदेशाध्यक्ष मानसिंह फौजी ने प्रेस को दिए बयान में लगाए। श्री फौजी ने चेतावनी दी है कि जैसे ही कोरोना हटेगा वह बड़े स्तर सोन चिरैया अभ्यारण को लेकर आंदोलन करेंगे। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा हर बार सिर्फ चुनाव के समय पर हि लोगों को लुभाने के लिए सोन चिरैया अभ्यारण को हटाने का वादा करती है, लेकिन जैसे ही चुनाव खत्म होता है वह अपने वादा को भी भूल जाती है। जबकि प्रदेश और केन्द्र में भाजपा की सरकार है यदि चाहें तो इसे हटाने में देर नहीं लगेगी, जनता के साथ वादा खिलाफी करना इनकी आदत में शुमार हो चुका है। 2017-18 में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने वादा किया था सोन चिरैया अभ्यारण हट चुका है और इसके लिए उन्होंने वाह-वाही भी लूटी थी खूब मालाएं पहनीं और मीडिया में भी बयानबाजी की थी, लेकिन आज भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। इसी सोन चिरैया अभ्यारण के कारण करई-बांसगढ़ रोड का निर्माण नहीं हो पा रहा है परिणामस्वरूप क्षेत्र के लोगों को आवागमन में काफी असुविधा हो रही है। कई लोग तो दुर्घटना में असमय ही काल के मुंह में समां चुके हैं, लेकिन फिर भी पैसों की चकाचौंध में जिम्मेदारों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहा है और यह अपने निजी स्वार्थ के चलते झूठी रिपोर्ट तैयार कर गुमराह करते आ रहे हैं।
आगामी उपचुनाव में भाजपा फिर मांग सकती है सोनचिरैया के नाम पर वोट
यहां बता दें कि करैरा में आगामी समय में उपचुनाव होने वाला है। यदि हम राजनीति के जानकारों की मानें तो भाजपा फिर से वोट मांगने के लिए सोनचिरैया अभ्यारण हटाने का वादा कर सकती है। अब यह जनता के विवेक और बुद्धि पर निर्भर करेगा कि वह सोन चिरैया अभ्यारण के नाम पर वोट मांगने की राजनीति करने वालों को सबक सिखाती है या फिर उन पर भरोसा कर फिर से अपने भविष्य को संवरने की उम्मीद करती है। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।