सत्ता की भूख और जनसेवा की आड़ में कथित रेतीले विधायक पर दशकों पुराने संस्कार और उसूलों की कुर्बानी, कहां तक न्यायोचित...?
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ग्वालियर। धार्मिक संस्कारों, उसूलों, परपंराओं, सबका साथ सबका विकास जैसी विचारधारा पर काम करने वाली एक राजनैतिक पार्टी सत्ता की भूख और जनसेवा की आड़ में अपनी पार्टी के दशकों पुराने उन उसूलों की कुर्बानी देने की तैयारी में है जिन्हें उसके पितृ पुरुषों ने अपने बलिदान, त्याग और समर्पण के दम पर खड़ा किया था। प्रदेशभर में ग्वालियर चंबल संभाग में आने वाले एक विधानसभा से एक विधायक ने मात्र डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में अपनी पहचान रेतीले विधायक के रूप में बना ली हो। जिसने चुनाव जीतने के बाद गिरगिट की तरह रंग बदल लिया हो, जो जनता के दिलों में नहीं, बल्कि सिर पर बैठा हो। जब ऐसे आदमी के लिए अपने उसूलों और संस्कारों की कुर्बानी दी जाए तो उन पितृ पुरुषों की आत्माओं पर क्या बीत रही होगी, यह तो ईश्वर जाने या फिर वहीं, इस दर्द को बयां करना मुश्किल हैं। हम तो वर्तमान में पार्टी के लिए जी-जान से जुटे हुए उन जमीनी कार्यकर्ताओं का दर्द जरूर बयां कर सकते हैं जब इनकी वफादारी की बात आती है तो वे यह कहने से भी नहीं चूकते हैं कि हमारी पार्टी से अगर कुत्ते को भी खड़ा कर दिया जाए तो भी हम उसे अपना नेता मान लेंगे और उसे ही अपना वोट देंगे। इसलिए ऐसे कार्यकर्ताओं की वफादारी और ईमानदारी पर शक की कोई गुंजाइश ही नहीं बनती, लेकिन ऐसे लोगों के जज्बात से खेलना जलते अंगारों पर चलने से कम नहीं है। यह बात तो हो गई पार्टी की सत्ता की भूख में उसूलों की कुर्बानी की। अब बात करते हैं रेतीले कथित विधायक (वैसे तो यह पूर्व विधायक हैं, लेकिन आज भी उठते, बैठते, खाते-पीते, सोते-जागते समय अपने आपको विधायक ही मानते हैं) की।
यह कथित विधायक महोदय विधायक बनने के बाद यह भूल गए इस संसार में समय से बड़ा कोई बलबान नहीं है। इसके बाद क्या ? इनके अपने भाई, बेटे, रिश्तेदारों ने भी विधायक का ही रूप धारण कर लिया और इन्होंने जैसे गंदगी में कीड़े-मकोड़े रेंगते उसी तरह क्षेत्र में अवैध रेत, गिट्टी और पर्सी-पत्थर से भरे डम्पर, ट्रेक्टर-ट्रॉली दौड़ा दिए। पैसों की भूख और सत्ते के नशे में इन्होंने गिरगिट की तरह रंग बदल लिया। पैसों की भूख ने इन्होंने लोगों की फसलों, खेतों को तो उजाड़ा ही, साथ ही लोगों की भावनाओं से भी खिलवाड़ किया। इनका विधायक बनने से पूर्व का रिकॉर्ड देखें तो इन पर कई आपराधिक मामले भी दर्ज हैं।
गलती से ही सीख मिलती है, अब नहीं दोहराएंगे: जनता
क्षेत्र की जनता की मानें तो उन्हें पहले ही समझ जाना चाहिए था कि जो व्यक्ति सरपंच के रूप में अपनी पंचायत का विकास नहीं करा सकता वह व्यक्ति विधायक बनकर लाखों लोगों का भला कैसे कर सकता है। ऐसे व्यक्ति भला कर सकते हैं तो केवल अपना ही। जो विधायक बनने से पहले कभी कर्जदार हुआ करते थे आज चंद महीनों के कार्यकाल में लग्जरी गाडिय़ों के मालिक हो गए हैं। अब तो जनता यही कहती नजर आ रही है कि गलती से ही सीख मिलती है, अब नहीं दोहराएंगे।