परीक्षा को वार्षिकोत्सव का रूप माना जावे तो टेंसन नहीं होगा
शिवपुरी। परीक्षा में यदि सभी परीक्षार्थी पास हो जाएं तो परीक्षा की उपयोगिता ही समाप्त हो जाएगी। इस फैल-पास होने के खेल का नाम ही तो परीक्षा है। हर साल फरवरी-मार्च-अप्रैल में छात्रों के दिलों की धड़कनें तेज होने लगती हैं,जिसका कारण 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं होती है। परीक्षार्थी को हमेशा यह याद रखना और समझना चाहिए कि यह जीवन की अंतिम परीक्षा नहीं है।असफलता के बाद भी सफलता मिलती है।असफलता सिर्फ यह दिखाती है कि सफलता का प्रयास पूरे मन से नही किया गया।
बोर्ड परीक्षा का तनाव छात्रों पर इस तरह से सवार होता है कि कई बार वह आत्महत्या जैसा घातक कदम उठा लेते है। ऐसे में अभिभावकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।अभिभावकों को परीक्षा काल में अधिक से अधिक समय परीक्षार्थियों के साथ गुजारना चाहिए।यदि बच्चा किसी कारणवश फेल हो भी जाता है, तो उसे निराशा के भंवर से निकालकर उसमें आत्म विस्वास का संचार करें।इस विषय पर हमने बच्चों से जुड़े चर्चा की जिसमे उन्होंने बताया कि पढ़ाई के प्रति लगन एवं स्वयं के प्रयासों पर भरोसा हो तो सफलता निश्चित ही मिलेगी।
आत्मविश्वास बढ़ाने की कोशिश करें
स्कूल जाने वाले बच्चों पर उनके माता-पिता शिक्षकों का सबसे अधिक प्रभाव होता है।कुछ शिक्षक मेधावी बच्चों पर अधिक फोकस करते हैं और कमजोर पर कम।दूसरी तरफ कुछ माता-पिता समाज में अपनी प्रतिष्ठा की बात कर बच्चे से अधिक अंक लाने की बात करते हैं। इससे भी बच्चा मानसिक दबाव में आ जाता है। बार-बार माता-पिता की इज्जत का ख्याल उसे मानसिक तौर पर परेशान रखता है।इस तरह माता-पिता व शिक्षकों के बीच में फंसा छात्र अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाता। इन्हीं में से कुछ बच्चे अपना आत्मविश्वास खो बैठते हैं. इसलिए बोर्ड परीक्षा व परिणाम के दौरान माता-पिता के साथ-साथ शिक्षकों को भी अलर्ट रहने की जरूरत हैं। बच्चों में हमेशा आत्मविश्वास जगाने की कोशिश करें।
शिवजीत सिंह यादव, बाल संरक्षण अधिकारी, शिवपुरी
खुद पर भरोसा जरूरी है
अक्सर छात्रों को यह चिंता सताती है कि अगर मैं फेल हो गया तो,अगर मुझे परीक्षा में कुछ नहीं आया तो।इस प्रकार के तनाव से बचने के लिये पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी होता है। दिमाग में इस तरह के विचार आते रहेंगे तो आप पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा सकेंगे।आप परीक्षा के तनाव को मिटाने के का सबसे अच्छा उपाय यही है कि परिणामों की चिंता छोड़ें और पढऩा शुरू करें,अपने प्रयासों पर भरोसा रखें।
अनुज कुमार दुवे, प्रशिक्षक, सीएमसीएलडीपी शिवपुरी
अधूरी तैयारी पूरी करें
जिस विषय की तैयारी अधूरी हो उस विषय पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। परीक्षा की तैयारी को देखकर भयभीत नहीं होना चाहिए। मन में हमेशा सकारात्मकता भाव रखो।जो परीक्षार्थी अधिक चिंता करते है वे अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते इससे पढ़ाई में बाधा आती है।स्वस्थ मन से तैयारी करें, सफलता बेहद करीब दिखाई देगी।
प्रीती कुशवाह, ट्रेनर एवं शौर्यादल सदस्य शिवपुरी










